महाकुंभ 2025: भारत की शाश्वत आत्मा का उत्सव
भारत की भावना का जश्न मनाना: आध्यात्मिक, डिजिटल और नवीनीकृत
‘‘त्रिवेणी का प्रभाव, वेणीमाधव की महिमा, सोमेश्वर का आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि, भगवान नागराज वसु जी का विशेष स्थान, अक्षयवट की अमरता और भगवान की कृपा – यह सब मिलकर हमारे तीर्थराज प्रयाग को बनाते हैं।’’
– प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पवित्र समागम महाकुंभ मेला हर बारह साल में आयोजित होता है, यह सिर्फ़ एक विशाल समागम से कहीं ज़्यादा है – यह प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित एक गहन आध्यात्मिक यात्रा है। यह पवित्र उत्सव दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक आस्था का आयोजन है, जो आत्म-साक्षात्कार, शुद्धि और ज्ञान की शाश्वत खोज का प्रतीक है। यहां लाखों तपस्वी, संत, साधु और विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाले तीर्थयात्री भक्ति में एकजुट होते हैं, जो मानवीय आध्यात्मिकता के सार को दर्शाता है।
12 वर्षों में चार बार मनाया जाने वाला यह कुंभ मेला भारत के चार पवित्र स्थलों – गंगा के तट पर हरिद्वार, शिप्रा के किनारे उज्जैन, गोदावरी के किनारे नासिक और गंगा, यमुना तथा पौराणिक सरस्वती के संगम पर प्रयागराज में आयोजित होता है। इसका प्रत्येक आयोजन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह की विशिष्ट ज्योतिषीय स्थितियों के साथ संरेखित होता है, जो हिंदू धर्म में सबसे पवित्र समय माना जाता है। खगोल विज्ञान, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानों और सांस्कृतिक परंपराओं को मिलाकर यह कुंभ मेला आस्था और ज्ञान का एक कालातीत साक्षी है।
महाकुंभ मेला
महाकुंभ मेले में गतिविधियां एवं आकर्षण
त्रिवेणी संगम पर कुंभ स्नान अनुष्ठान में लाखों तीर्थयात्री भाग लेते हैं। इस पवित्र अनुष्ठान को करने का उद्देश्य उनका यह विश्वास है कि पवित्र जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं, वह स्वयं और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर लेता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है।
शास्त्रीय संगीत, नृत्य और भारत की आध्यात्मिक विरासत पर आधारित प्रदर्शनियों के माध्यम से राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि को उजागर किया जाएगा। भारत की विविध विरासत का जीवंत प्रदर्शन दृश्य और श्रवण दोनों माध्यम से किया जाएगा।
अखाड़ा शिविर वे स्थान हैं जहां आध्यात्मिक साधक, साधु और तपस्वी दर्शनशास्त्र पर चर्चा करने, ध्यान लगाने और अपने ज्ञान को साझा करने के लिए एकत्रित होते हैं। तीर्थयात्री इन शिविरों में ज्ञानवर्धक वार्तालापों में भाग लेने और तपस्वी जीवन शैली को करीब से देखने के लिए जा सकते हैं।
बच्चों के लिए ऊंट की सवारी जैसी गतिविधियां भी होंगी।
इस साल कुंभ मेले में जल क्रीड़ा एरिना और फ्लोटिंग जेटी भी शामिल होने जा रहे हैं। तीर्थयात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया यह अध्यात्म और मनोरंजन का अनूठा मिश्रण प्रदान करेगा।
प्रयागराज में शहर की सजावट और पेंटिंग: कलाकृति
कलाकृति एक प्रकार की कला है, जिसे समुदाय में उसके आस-पास की इमारतों, सड़कों और अन्य सार्वजनिक रूप से देखी जाने वाली सतहों पर प्रदर्शित किया जाता है। कलाकृति की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि दिए गए स्थान के वास्तुशिल्प तत्वों को चित्र में सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किया जाता है।
प्रयागराज मेला प्राधिकरण तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की बड़ी संख्या के आगमन से पहले राज्य को सुंदर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा प्रयासों में मदद कर रहा है और कलाकृति परियोजनाएं चला रहा है।
यह अभियान कुंभ मेला 2025 के समापन के बाद प्रयागराज शहर में एक चिरस्थायी विरासत छोड़ जाएगा और प्रयागराज में विभिन्न स्थलों के सौंदर्य मूल्य में चार चांद लगाएगा।